milk subsidy 2025 केंद्र सरकार ने दूध उत्पादक शेतकऱियों के लिए पीएसएस योजना नकार दी है। शेतकऱियों को किफायती दर प्राप्त करने के लिए क्या कदम उठाए जाएं? जानें इस ब्लॉग में शेतकऱियों के लिए आवश्यक समाधान।
milk subsidy 2025
केंद्र सरकार ने हाल ही में दूध उत्पादक शेतकऱियों के लिए पीएसएस (किंमत समर्थन योजना) या दूध के लिए अनुदान देने की योजना को नकार दिया है। केंद्रीय पशुसंवर्धन और दुग्ध विकास विभाग के मंत्री एस. पी. सिंह बघेल ने 12 मार्च को संसद में एक लेखी उत्तर में यह स्पष्ट किया कि सरकार फिलहाल इस प्रकार की कोई योजना लागू नहीं करने जा रही है। इस फैसले से देश भर के दूध उत्पादक शेतकऱियों को एक बड़ा झटका लगा है। इस ब्लॉग में हम इस फैसले के कारण, दूध उत्पादक शेतकऱियों की समस्याएं और इसके लिए क्या समाधान हो सकते हैं, इस पर चर्चा करेंगे।

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दूध की कीमत और शेतकऱियों की आर्थिक स्थिति
milk subsidy 2025 देशभर के दूध उत्पादक शेतकऱियों को फिलहाल सही और किफायती दर नहीं मिल पा रही है। दूध विक्रय दरें सहकारी और निजी दूध संघों द्वारा तय की जाती हैं। इस वजह से शेतकऱियों को कड़ी आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। केंद्र सरकार दूध के दरों पर हस्तक्षेप करने के लिए तैयार नहीं है, जिसके कारण शेतकऱियों की वित्तीय स्थिति खराब हो रही है।
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मुख्य बिंदु:
- दूध की कीमतों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं।
- शेतकऱियों को उचित मूल्य नहीं मिल रहा।
- केंद्र सरकार फिलहाल कोई पीएसएस योजना शुरू करने का विचार नहीं कर रही।

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केंद्र सरकार का फैसला और शेतकऱियों की समस्याएं
milk subsidy 2025 इस निर्णय के बाद शेतकऱियों के सामने और भी बड़ी समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं। राज्य में शेतकऱियों ने कई बार दूध की कीमतों के खिलाफ आंदोलन किए हैं, लेकिन सरकार ने इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। शेतकऱियों को मिलने वाली कीमतों में कोई सुधार नहीं हो पा रहा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है।
- दूध की कीमतों का निर्धारण: सरकार दूध संघ या सहकारी संगठनों के कार्यों में हस्तक्षेप नहीं करती। दूध की कीमतें इन संगठनों द्वारा निर्धारित की जाती हैं। milk subsidy 2025
- दूध उत्पादन पर दबाव: दूध उत्पादन की लागत और इसकी कीमतों पर नियंत्रण नहीं होने के कारण शेतकऱियों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
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दूध उत्पादन और केंद्र सरकार की भूमिका
milk subsidy 2025 केंद्र सरकार दूध उत्पादन पर ध्यान देती है, लेकिन शेतकऱियों को फायदा पहुंचाने के लिए और कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई है। बघेल के अनुसार, सरकार दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए कुछ योजनाओं का संचालन कर रही है, लेकिन शेतकऱियों को इसका लाभ मिल रहा है या नहीं, यह सवाल बड़ा है। राज्य सरकारों को भी शेतकऱियों के लिए बेहतर नीतियाँ बनानी चाहिए, ताकि उनकी समस्याओं का समाधान हो सके।

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केंद्र सरकार द्वारा संचालित योजनाओं की जानकारी:
- दूध उत्पादन सुधारने के लिए 6 प्रमुख योजनाएं लागू की जा रही हैं। milk subsidy 2025
- दूध उत्पादन खर्च घटाने और बाजार उपलब्धता बढ़ाने के लिए योजनाएं बनाई जा रही हैं।
- पशुधन के लिए उचित सुविधाएं और चारा उपलब्धता बढ़ाने के लिए योजनाओं का संचालन हो रहा है।
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दूध उत्पादक शेतकऱियों के लिए क्या उपाय हो सकते हैं?
milk subsidy 2025 दूध उत्पादक शेतकऱियों के लिए किफायती मूल्य प्राप्त करने के लिए कुछ उपायों की आवश्यकता है:
- कृषि अर्थव्यवस्था में सुधार: दूध उत्पादक शेतकऱियों को उनके काम का उचित मूल्य मिलना चाहिए, इसके लिए कृषि अर्थव्यवस्था में सुधार जरूरी है।
- नीतियों का पुनरावलोकन: सरकार को दूध व्यवसाय से जुड़ी नीतियों का पुनरावलोकन करना चाहिए और शेतकऱियों के लिए न्यूनतम मूल्य तय करना चाहिए।
- आंदोलन और जागरूकता: शेतकऱियों को उनके अधिकारों के लिए आवाज उठानी चाहिए, ताकि राज्य और केंद्र सरकार इस मुद्दे पर ध्यान दे सकें।

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शेतकऱियों का आंदोलन और सरकार की भूमिका
milk subsidy 2025 पिछले पांच सालों से शेतकऱियों ने दूध की कीमतों के खिलाफ कई बार आंदोलन किए हैं। इन आंदोलनों के माध्यम से शेतकऱियों ने अपनी समस्याओं को सरकार के समक्ष रखा है। हालांकि, राज्य और केंद्र सरकारों ने इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं, जिससे शेतकऱियों की परेशानी बढ़ी है। शेतकऱियों को उचित मूल्य की गारंटी देने के लिए सरकार को सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।
- शेतकऱियों की मांग: दूध उत्पादक शेतकऱियों को किफायती दर सुनिश्चित करने के लिए पीएसएस योजना लागू की जानी चाहिए।
- मूल्य वृद्धि: दूध उत्पादक शेतकऱियों के लिए किफायती दर और मूल्य वृद्धि की व्यवस्था की जानी चाहिए।
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milk subsidy 2025 केंद्र सरकार ने दूध उत्पादक शेतकऱियों के लिए पीएसएस योजना नकार दी है, लेकिन दूध उत्पादक शेतकऱियों की समस्याएं वास्तविक हैं। सरकार को शेतकऱियों के दृष्टिकोण से योजनाओं को लागू करते हुए, दूध उत्पादन और शेतकऱियों की आर्थिक स्थिति पर ध्यान देना चाहिए। राज्य और केंद्र सरकार को मिलकर शेतकऱियों के हित में काम करने की आवश्यकता है ताकि वे उचित मूल्य पा सकें।